Aadhar Prakashan Pvt. Ltd.

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Haryana, INDIA - 134113

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आधार प्रकाशन सन् 1991 में अपनी शुरुआत से लेकर अब तक एक विनम्र, परन्तु संकल्पवान प्रयास की तरह काम करता आ रहा है। बेशक पंख पसारने लायक घोंसला अभी छोटा मालूम पड़ता है-कुल जमा तीन सौ के लगभग किताबें और पल प्रतिपल (त्रैमासिक पत्रिका) के सत्तरेक अंक। परन्तु यहां कम से कम आकाश के एक टुकड़े को मापने के लिए परवाज़ भरने का संकल्प भी हमेशा हमारे साथ रहा है। किताबें छापने के लिए एक दृष्टि हमेशा हमारे लिए कसौटी बनी है। सामाजिक रूपांतरण और मनुष्य की मुक्ति के लिए साहित्य भले ही बहुत बड़ी भूमिका निभाता दिखाई दे या न दे, किन्तु हमारे लिए वही चुनाव और हर तरह के फैसलों का 'आधार' है। यही 'आधार प्रकाशन' के होने की वजह है, जो समाज के आधारभूत नींव की ईंटों जैसे मनुष्यों और उनके सामाजिक वर्गों के सरोकारों में हमकदम होने की राह दिखाती है। व्यावसायिक बाजारवादी हालात के बीच इसलिए हमने कई ऐसे फैसले लिए हैं, जो इस लिहाज से 'कामयाब' प्रकाशनों से कुछ अलग हैं। आधार कविता मंच के अंतर्गत नवोदित कवियों के पहले संग्रहों के रूप में 14 पुस्तकें छापने का फैसला ऐसा ही है। उनमें से लगभग सभी पुस्तकें पुरस्कृत और खासी चर्चित रहीं परन्तु कविता का बाजार हमारे लिए भी जद्दोजहद की वजह बना रहा। हमने दिल्ली से इधर के हरियाणा, पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर के सभी अहम रचनाकारों से जुडऩे और उनके साथ राष्ट्रीय फलक में शिरकत करने का जो प्रयास किया है, वह 'लोकल' को 'ग्लोबल' बनाने के हमारे इरादे का सूचक है। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त गुरदयाल सिंह, साहित्य अकादमी विजेता अलका सरावगी, विनोदकुमार शुक्ल, मंगलेश डबराल, व्यास सम्मान प्राप्त परमानन्द श्रीवास्तव आदि के साथ इस अंचल के भगत सिंह, पाश, कुमार विकल, जगदीश चन्द्र, ओमप्रकाश ग्रेवाल, चमन लाल, विनोद शाही, तारा पांचाल, प्रदीप कासनी, रोहिणी अग्रवाल, हरनोट, राजकुमार राकेश और सुन्दर लोहिया जैसे रचनाकार हमारे आंचलिक सरोकारों की गवाही देते हैं। इसे अब हम और गहराने का संकल्प बांधे हैं। वेदों-उपनिषदों की रचनाभूमि कहे जाने वाले इसी अंचल से अब हम भारत की सांस्कृतिक विरासत की पुनव्याख्या में जुटाने और भारतीय नवजागरण के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए 'ज्ञानमीमांसा' सीरीज का आरंभ करने जा रहे हैं जिसके अंतर्गत हमने 'रामकथा : एक पुनर्पाठ', 'बुल्लेशाह : समय और पाठ' एवं 'गांधी का अहिंसक इंकलाब और हिन्द स्वराज' जैसी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन किया है।