एक अन्य बात है, जो मुझे जयशंकर से जोड़ती है, वह है उनका विश्व सिनेमा से अगाध प्रेम, सिनेमा की उनकी समझ। यहाँ भी वे काफ़ी आगे हैं। साहित्य की चर्चा करते हुए वे सिनेमा पिरोते चलते हैं। कितनी सारी फ़िल्में उन्होंने देखी हैं, फ़िल्मों से उनका कितना लगाव है, यह खासकर ‘डायरी’ खंड में यहाँ देखा जा सकता है। वे फ़िल्म सोसायटी आंदोलन का हिस्सा हैं। दुनिया जहान की अपनी देखी फ़िल्मों का संक्षिप्त परिचय, उसके सामाजिक, राजनैतिक पक्ष पर उनकी टिप्पणियाँ भी यहाँ दर्ज हैं, मसलन ‘सुबह रिजेंट थियेटर में हंगेरियन फ़िल्म निर्देशक जेन्स्को की दो फ़िल्में ‘द राउड अप’ और ‘लव फ़िल्म्स’ देखी। उनके अनुसार ‘दोनों ही फ़िल्में हंगरी का राजनैतिक-सामाजिक इतिहास हैं और उस इतिहास को झेलते-सहते हुए पात्रों का भावात्मक इतिहास। पूर्वी यूरोप के कुछ देशों पर इतिहास का कितना ज्यादा बोझ रहता आया है। राजनीति क्या किसी के जीवन को इस तरह, इतना ज्यादा प्रभावित कर सकती है?’ वे प्रश्न भी उठाते हैं। कुछ दिन पूर्व उन्होंने इसी निर्देशक की कुछ अन्य फ़िल्में देखी थीं। उनकी डायरी में कई फ़िल्म देखने की बात दर्ज है, जैसे ‘गाँधी’ उन्होंने तीसरी बार देखी, ‘प्रीस्ट ऑफ़ लव’, ‘स्टाकर’, ‘विद आउट टियर्स’, ‘ए मॉरल नाइट’ आदि फ़िल्म देखने क बात को यहाँ दर्ज किया है। सत्यजित राय (सत्यजीत राय जैसी एकाध प्रूफ़ की गलतियाँ अगले संस्करण में सुधार ली जाएँगी।)
-विजय शर्मा