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Indi - eBook Edition
Pratingyan Ki Dharti

Pratingyan Ki Dharti

Language: HINDI
Sold by: Aadhar Prakashan
Paperback
ISBN: 978-81-19528-83-7
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Book Details

यह भी विचित्र था कि जहाँ घर बचा था वहाँ सपने छीज गए थे और जहाँ सपने मुकम्मल थे वहां एक रिसती हुई छत थी घर बुनने वाले बीत गए ढहती दीवारें उम्मीद में खड़ी रहीं कि एक दिन कैलेंडर के पन्ने बदलने वापस आएगा वही वांछित स्पर्श लोग आगे बढ़ गए वहाँ वक्त ही थम गया था वह घर जिसे इत्तिला नहीं किया गया कि यही पल तुम्हारे हिस्से में आख़िरी लिखा गया है उसने सालों साल सहेज रखीं हैं जूठी प्लेट चम्मच रसोई में टंगे सूप के पैकेट सूखे हुए गमले कभी पूजी गए ईश्वर की त्याज्य मूर्तियाँ दीवारों पर लिखे कुछ अनगढ़ अक्षर झरते प्लास्टर के बीच से उभरते हैं दृश्य गूंजती हैं किलकारियां अभी ही तो एक व्याकुल स्त्री वहाँ अचानक रो पड़ी थी और एक जोड़ी अबोध आँखों में तिर आया था भय अभी ही तो वह गयी थी कहकर वापस आती हूँ ज़रा देर में दरवाज़े तब से उसकी प्रतीक्षा में हैं स्मृतियों पर उकेर दी जाती हैं वर्तमान की इबारतें दर्ज हो जाते हैं नए पदचाप घर अपने सीने में छुपा रखता है अतीत की आहटें वे वहाँ धड़कती रहतीं हैं बाशिंदों के रूठ जाने से अनजान एक घर अपनी प्रतीक्षा में नष्ट होता रहता है